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Feb 24, 2009

जौहर मेले में गूंजी मेवाडी शौर्यगाथाएं


उदयपुर से भूपेंद्र सिंह चुण्डावत :
जौहर मेले की शोभायात्रा में मेवाड की आन-बान और शान की गाथाएं बखान करती स्वरलहरियां गूंज उठी। भव्य शोभायात्रा ने शहरवासियों को मेवाड के वीर-वीरांगनाओं के शौर्य और बलिदान की याद दिला दी। जौहर श्रद्धांजलि समारोह के तहत परंपरागत शोभायात्रा भीलवाडा मार्ग स्थित भूपाल छात्रावास परिसर से रवाना हुई। घुडसवार केसरिया पताका लिए चल रहे थे। शोभायात्रा में दो दर्जन से अधिक घोडे शामिल थे। बैंडबाजों पर ‘वो मेवाडी सरदार कठै, ‘धन्य-धन्य चित्तौड की भूमि क्या-क्या करूं बडाई मैं’जैसे मेवाडी गीतों की स्वरलहरियां बिखर रही थीं। इस दौरान राजपूत समाज के पुरुष सिर पर मेवाडी पगडी धारण किए और महिलाएं रंग-बिरंगे परंपरागत परिधानों में चल रही थीं। शोभायात्रा में भगवान एकलिंगनाथ, महाराणा प्रताप, जौहर करने वाली वीरांगनाओं की छवि सहित भगवान शिव दरबार वाली झांकियां ट्रैक्टर में सजी हुईं थीं। शोभायात्रा में मेवाड के महाराणा महेन्द्रसिंह मेवाड, जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष उम्मेदसिंह धौंली, उपजिला प्रमुख जनकसिंह, कर्नल रणधीरसिंह बस्सी सहित कई प्रमुख लोग भी पैदल जनसामान्य का अभिवादन करते हुए चल रहे थे।

चित्तौडगढ के इतिहास में हुए बलिदान एक ऐसी मिसाल है जो पूरे देश में कहीं भी देखने को नहीं मिलती है। जौहर स्मृति संस्थान के तत्वाधान मे आयोजित जौहर श्रद्धांजलि समारोह के तहत दुर्ग स्थित फतह प्रकाश महल प्रांगण में आयोजित मुख्य श्रद्धांजलि समारोह को कई वक्ताओं ने संबोधित करते हुए कहा कि चित्तौडगढ के इतिहास में जो बलिदान हुआ, उसकी गौरव-गाथा सदैव अमर रहेगी।

समारोह के मुख्य अतिथि सिरोही के महाराव रघुवीरसिंह ने चित्तौडगढ को पूरे राष्ट्र का तीर्थ बताते हुए कहा कि यहां जो बलिदान हुआ वह देश में हुए बलिदान से अलग था। उन्होने यहां हुए बलिदान को एक अद्धितीय मिसाल बताया। समारोह के धर्म गुरु बडीसादडी के स्वामी बंशीधराचार्य महाराज ने कहा कि यह समारोह केवल क्षत्रियों का नहीं बल्कि पूरे हिन्दु समाज का समारोह है। उन्होने आयोजको से इस समारोह को प्रतिवर्ष तय की गई २३ फरवरी के स्थान पर तिथि के अनुसार मनाया जाने का सुझाव दिया।

धर्म गुरु ने कहा कि मेवाड के लिए जिन लोगो ने भी सेवा की, उन सभी लोगो का सम्मान इस समारोह से जुडे आयोजकों को किया जाना चाहिए, फिर चाहे वे किसी भी समाज से जुडे हुए क्यों न हो। उन्होने कहा कि यदि महाराणा प्रताप नहीं होते तो हल्दी घाटी का रंग लाल नहीं होता।

समारोह के विशिष्ठ अतिथि सिविल लाईन्स, जयपुर के विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि देश को आजादी किसी एक समुदाय ने नहीं बल्कि सभी ने दिलाई थी। ऐसी स्थिति में आजादी के बाद जाति को ले कर क्यों लडाई लडी जा रही है। खाचरियावास ने कहा कि आजादी से पहले धर्म व जाति के नाम पर कभी भी झगडा नहीं हुआ एवं जाति की नहीं बल्कि सम्मान की लडाई लडी गई।

भीलवाडा का सांसद वी.पी.सिंह, चित्तौडगढ सांसद श्रीचन्द कृपलानी, मनासा विधायक विजेन्द्र सिंह चन्द्रावत, गुजरात राजपूत युवक संघ के चेयरमेन डॉ. जयेन्द्र सिंह जी.एम. जाडेजा, भीम सिंह चुण्डावत, जिला कलेक्टर डॉ. समित शर्मा आदि ने भी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चित्तौड दुर्ग शौर्य, साहस, त्याग, बलिदान, भक्ति, शक्ति का ऐसा संगम स्थल है जिसके हर पत्थर पर शूरवीरता की अमिट इबारत अंकित है।

वक्ताओं ने कहा कि जौहर से बढकर कोई त्याग बलिदान नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि जौहर ओर साका मेवाड राष्ट्र की अस्मिता के लिए ऐसा श्रद्धासुमन है, जिसकी खुशबू हर कोईर् लेना चाहता है। समारोह के प्रारम्भ में संस्थान के अध्यक्ष उम्मेद सिंह ने समारोह के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि पूर्व में यह समारोह तिथि के अनुसार आयोजित किया जाता था, लेकिन कुछ वर्षो से प्रति वर्ष २३ फरवरी को यह समारोह आयोजित किया जा रहा है, लेकिन कई जनें इसे पुनः तिथि के अनुसार, बीज एकादशी को ही आयोजित करने का सुझाव दे रहे है। इस सुझाव को संस्थान की आगामी बैठक में रखा जाएगा।

कई जनों का हुआ सम्मान

इस अवसर पर अतिथियों का संस्थान के पदाधिकारियों द्वारा माल्यार्पण कर पगडी पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया गया। मुख्य अतिथि सिरोही दरबार द्वारा जौहर भवन के निर्माण के लिए ५० हजार से अधिक राशि देने वाले भामाशाहों का सम्मान किया गया। मेवाड़ महारानी साहिबा निरुपमा कुमारी मेवाड द्वारा विभिन्न क्षेत्रो में उल्लेखनीय कार्यों के लिए २० जनों को महारानी पद्मनी पुरस्कार, विधायक खाचरियावास द्वारा प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया।

फूलों की बारिश से हुआ स्वागत

शोभायात्रा में एक दर्जन से भी अधिक घुडसवार अपने हाथों में भाला एवं ध्वज लिए चल रहे थे, जबकि दो ऊंट भी शोभायात्रा की शोभा बढा रहे थे। शोभायात्रा में लगभग आधा दर्जन झांकिया भी शामिल थी। शोभायात्रा के स्वागत में नगर में कई स्वागत द्वार बनाए गए। विभिन्न संगठनों आदि के ओर से शोभायात्रा पर फूलों की बारिश कर स्वागत किया गया, वहीं कई स्थानों पर फल, शरबत आदि के काउन्टर भी लगाए गए। सुभाष चौक पर मोहम्मद शेरखान एवं अल्पसंख्यकों की ओर से लगाए गए फल काउन्टर पर मौजूद पूर्व सरपंच उस्मान खान आदि द्वारा फलों का वितरण किया गया। इसी तरह शोभायात्रा के दरगाह के बाहर पहुंचने पर दरगाह कमेटी की ओर से इसका स्वागत किया गया।



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