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Dec 26, 2012

स्तुति जमवाय माता



 जमवाय माता

म्हारी माता ए जमवाय, थारो मोटोड़ो दरबार !
म्हारो हेलो सुणो !!

दोसा सू आया दुल्हराय, हारोड़ी फोजा ने जिताय!
बुढ़िया को भेष बनाय, राणी को चुडलो अमर करयो !
म्हारो हेलो सुणो !!

कामधेनु बण दोड़, माता सिंघ पीठ ने छोड़ !
रण मे इमरत दियो निचोड़ , थणा सूं दूध झरयो !
म्हारो हेलो सुणो !!

तूँ कछवाहा कुल की जोत, तू अरियाँ द्लरी मोंत!
"काकिल" हिवडे करयो उघोत, थापी गादी आमेर की!
म्हारो हेलो सुणो !!

बेठी डूगर- घाटी बीच मायड कोट गोखड़ा खीच!
बेठ्या सेवक आख्याँ मीचं धाम 'बुढवाय' थप्यो !
म्हारो हेलो सुणो !!

मांची को बणायो रामगढ़, माता सिंघ पर चढ़ !
सारा असिदल दाब्या खड़ 'बुढवाय' सूं जमवाया बणी!
म्हारो हेलो सुणो !!

थारे दाल भात रो भोग, बणावे सगळा लोग!
कट्जा काया का भी रोग, चढ़ाता चिटकी चूरमो!
म्हारो हेलो सुणो !!

जात जडूला बेसुमार ल्यावे सारा ही परिवार !
गोरडूयाँ करसोला सिंगर बाधावा गावे मात का!
म्हारो हेलो सुणो !!


कीरत रो काई बखाण (माँ) भगतां रा मना ने जाण!
लीना चरणां मे सुवान भगती रो बरदान दियो !
म्हारो हेलो सुणो !!

तू छे शरड्णाइ साधार, अब तो भव सागर सुं तार!
लेवो डूबतडी ऊबार, नेया म्हारी मझधार सुं! 
म्हारो हेलो सुणो !!

सेवक ऊभा थारे द्वार , गावे विनती बारम्बार !
तू तो भगतां की आधार, सुहगया की गोद भरे! 
म्हारो हेलो सुणो !!



कुछ दिनों पहले रतन सिंह ने "कुलदेवी कछवाहा राजपूत " और  कछवाहा राजपूतो के बारे मे जानकारी दी थी, मुझे जब तक जानकारी है की सभी राजपूतो की कुलदेवी होती है और सभी राजपूतो को सबसे पहले अपनी कुल देवी की आराधना करनी चाहिए!  

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