-->

Feb 24, 2013

सामंत

कोस रहे क्यों राजाओं को,
खुद भी कुछ इतिहास बनाओ,
अब जनता का शासन है,
फिर क्यों नहीं रचते नए गीत।
सर काट कर ले गए फिर भी
जाग नहीं पाया है जमीर।
साके झूठे जौहर झूठे,
अब भ्रष्टतंत्र के जय करे है।
चोर को कहते चोरी करिये,
साहूकार को हरकारे है।
आँखों पर ऐनक लगाये,
धोली टोपी सर धारे ,
वंशवाद के स्वयं वाहक है,
गाली देते सामंतो को।
तुम तो अब भी बने हुए हो,
दत्तक पुत्र ब्रिटिश राज के,
रोज घुमाते उन्हें बुलाकर,
आगे पीछे दासो जैसे,
वाह रे वाह आजाद पंछियों,
शाख नहीं पहचान सके तुम।

Share this:

Related Posts
Disqus Comments