तथाकथित आजाद भारत के इतिहासकारों,साहित्यकारों व व बुद्धिजीवियों के आलेखों में अक्सर हम पढ़ते आये है की राजपूतो की आपसी फुट के परिणाम स्वरुप ही भारत मुगलों व अंग्रेजो का गुलाम हुआ था. मेरे जैसा अल्पबुद्धि वाला व्यक्ति तो स्वयंभू विद्वानों के कथनो को अक्षरशः मानेगा ही. पर कोई जो जरा बहुत ज्ञान रखता होगा व तथ्यों को वास्तविकता की कसौटी पर परखता होगा,वह अवश्य विश्लेषण करेगा की सच क्या रहा होगा. इतिहास गवाह है की जब समस्त यूरोप व मध्य एशिया इस्लामिक सत्ता के सामने जब नत मस्तक था. तब एक मात्र देश भारत ही था जहाँ के हठीले शूरवीर राजपूत शासको ने अपने सर कटवा कर भी अपने धर्म व देश की रक्षा की थी. इसी का परिणाम है की आज भी भारत में हिन्दुओं का अस्तित्व शेष है वरना कभी के सबके ख़तने हो चुके होते. सामन्तवाद को गलिया दे कर जनता से तालिया बजवा कर व उन्हें बेवकूफ बना कर आपने शासन करने की भूख मिटने वाले धवल वस्त्र धारी नेताओ के देश प्रेम व आत्म बल को देखता हूँ तो तरस आता है की जिन्हें तुम गलिया दे कर राज का आनंद ले रहे हो वे यदि कारगिल युद्ध,संसद पर आक्रमण,अनेक आतंकवादी हमलो, जवानो के सर कलम करने की घटना व चीन द्वारा कई किलोमीटर अन्दर घुस कर हमारी सम्प्रभुता को ललकारने की घटना के समय होते तो अवश्य ही इनका मुंह तोड़ जबाब देते,,चाहे स्वयं मर जाते पर कायर कभी नहीं कहलाते. शर्म आती है जब आज चाईना ने हमारे कई किलो मीटर अन्दर के बंकर को तुड़वा कर ही अपने टेंट हटाये और हम चुप है,,,जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो. हमें कम से कम मेजर शैतान सिंह जैसे सूरवीरो की शहादत का तो ख्याल तो रखना ही पड़ेगा.