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Jul 29, 2013

आह्वान

घणा दिन सोलियों रे...अब तो जाग राजपूत भायला
तू जाग ही जणा म्हारों सुत्योड़ों समाज जाग जवलों

कुभकर्ण की सी नींद मे सुत्या हो
परभाते अब तो जागो भायला

नुवो जमानों आज आवियों
देख निजर पसार भायला

सो सू आँग चाल्बा वाला
आज थे चालो सबसु लार

होड़ा होड़ी मे थे करलियों घर को नाश
थोड़ी तो मन मे बात विचारो भायला

पूरखा की थे रींता भुलग्या
थोड़ी तो लाज शर्म करो भायला

टिको टमको ओर डायजो थाने भायला
गरीबी की नाड़ी मे दुबाया छोड़ो लो

दारू छोड़ो ओर छोड़ो थे बन्नागिरि
माँ बेणा की कदर करो ओर करो खूब पढ़ाई भायला

जाग राजपूत भायला तू सिंघ रो सपूत मात थारी सिघनी
आज ना जागयों तो फेर कदे ही ना जाग्लों

"गजेन्द्र सिंह रायधना"
http://www.raydhana.in/

  

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