tag:blogger.com,1999:blog-6199260200936852842.post4546776588866415235..comments2023-10-29T17:40:21.411+05:30Comments on Rajput World: आराम कहाँUnknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6199260200936852842.post-74782065490680694222009-04-17T19:55:00.000+05:302009-04-17T19:55:00.000+05:30बहुत बढिया!! इसी तरह से लिखते रहिए !बहुत बढिया!! इसी तरह से लिखते रहिए !Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6199260200936852842.post-55499386492614517502009-04-06T05:47:00.000+05:302009-04-06T05:47:00.000+05:30आराम कहाँ अब जीवन में अरमान अधूरे रह जाते |दिल की ...आराम कहाँ अब जीवन में अरमान अधूरे रह जाते |<BR/>दिल की धड़कन शेष रहे हाथों के तोते उड़ जाते ||<BR/><BR/>सुन्दर पँक्तियाँ। कहते हैं कि-<BR/><BR/>उसे फिक्र है हरदम नया तर्जे जफा क्या है।<BR/>हमें शौक है देखें सितम की इन्तहा क्या है।।<BR/><BR/>सादर <BR/>श्यामल सुमन<BR/>09955373288<BR/>मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।<BR/>कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।<BR/>www.manoramsuman.blogspot.com<BR/>shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6199260200936852842.post-44253828683439894452009-04-05T18:48:00.000+05:302009-04-05T18:48:00.000+05:30बचपन में बाहें डाल चले सोचा था साथी है जग में |दो ...बचपन में बाहें डाल चले सोचा था साथी है जग में |<BR/>दो कदम चले फिर बिछुड़ गए एकाकी को आराम <BR/>कहाँ ?<BR/><BR/>बहुत मधुर और सुंदर रचना.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6199260200936852842.post-65484590749717099312009-04-05T16:44:00.000+05:302009-04-05T16:44:00.000+05:30बहुत सुन्दर रचना है । श्री तन सिंह जी ने बहुत सी स...बहुत सुन्दर रचना है । श्री तन सिंह जी ने बहुत सी सुन्दर रचनाये लिखी है । आपके माध्यम से यह अब सभी पाठको को पढ़ने को मिल रही है । आपका बहुत बहुत आभार ।naresh singhhttps://www.blogger.com/profile/16460492291809743569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6199260200936852842.post-32170991210924021752009-04-05T15:01:00.000+05:302009-04-05T15:01:00.000+05:30बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।निर्जीव अँगुलियों के चलते...बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।<BR/><BR/>निर्जीव अँगुलियों के चलते स्वर साधक बनना सीखा था |<BR/>मादक वीणा के टूट चुके हों तार अभागे हा ! बजते ||परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6199260200936852842.post-1264616063307851952009-04-05T14:16:00.000+05:302009-04-05T14:16:00.000+05:30बचपन में बाहें डाल चले सोचा था साथी है जग में |दो ...बचपन में बाहें डाल चले सोचा था साथी है जग में |<BR/>दो कदम चले फिर बिछुड़ गए एकाकी को आराम कहाँ ?<BR/>वाह वाह बहुत सुंदर.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6199260200936852842.post-80899426535983998012009-04-05T13:50:00.000+05:302009-04-05T13:50:00.000+05:30बहुत बढिया लिखा है ... बधाई।बहुत बढिया लिखा है ... बधाई।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6199260200936852842.post-29636815531863245702009-04-05T12:55:00.000+05:302009-04-05T12:55:00.000+05:30सागर में सीपें खोज-खोज माला में मोती पोये थे |पर ह...सागर में सीपें खोज-खोज माला में मोती पोये थे |<BR/>पर हाय ! अचानक टूट पड़े यदि प्रेम तंतु जब पहनाते ||<BR/><BR/>घोर अँधेरी रात्रि में था दीप जला टिम-टिम करता |<BR/>अंधेर हुआ जब बह निकला नैराश्य पवन मग में चलते ||<BR/><BR/>waah sunder mann chuti rachana,padhwane ka shukranmehekhttp://mehhekk.wordpress.com/noreply@blogger.com