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Mar 13, 2010

जौहर वीरांगनाओं को भावभीनी श्रद्धाजंलि



चित्तौडगढ़ ।
वीर वीरांगनाओं की कर्मस्थली एवं बलिदानों की साक्षी तपो भूमि चित्तौडगढ़ में वीर वीरांगनाओं की स्मृति को चिर स्थाई रखने वाली संस्था जौहर स्मृति संस्थान के तत्वाधान में आयोजित जौहर श्रद्धांजलि समारोह के दौरान शुक्रवार को वीर वीरांगनाओं के अद्धितीय शौर्य, त्याग, बलिदान को याद कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। समारोह में क्षत्रिय समाज के विभिन्न जिलों के कई ठिकानेदारों सहित मेवाड़ महाराणा व महाराणी साहिबा निरूपमा कुमारी भी उपस्थित थी।

जम्मू कश्मीर के चिकित्सा शिक्षा एवं खेल राज्य मंत्री राजेन्‍द्रसिंह चिब के मुख्य आतिथ्य में दुर्ग स्थित फतह प्रकाश प्रांगण में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए चिब ने कहा कि देश के इतिहास पर नजर डालने पर राजस्थान के इतिहास की झलक सबसे पहले देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि यहां की मिट्टी को छूने के बाद वे अपने आप को सौभाग्यशाली मानते है। उन्होंने समारोह की अध्यक्षता कर रहे पूर्व सांसद और मेवाड़ के महाराणा महेन्द्रसिंह मेवाड़ को जम्मू कश्मीर पधारने का निमंत्रण भी दिया।

चिब ने स्थानीय गांधीनगर में स्थित जौहर भवन के निर्माण कार्य को पूर्ण करवाने के लिए जम्मू कश्मीर क्षत्रिय महासभा की ओर से एक लाख रुपए की राशि प्रदान की। इस अवसर पर उन्होंने प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं, भामाशाहों आदि को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। वहीं स्वंय की ओर से महाराणा महेन्द्र सिंह मेवाड़, जगद्गुरु डॉ. स्वामी राघवाचार्य वेदान्ती, संस्थान अध्यक्ष उम्मेद सिंह धौली को शाल ओढ़ा कर उनका अभिनन्दन किया।

समारोह के अध्यक्ष पूर्व सांसद मेवाड़ महाराणा महेन्द्र सिंह मेवाड़ ने क्षत्रियों की एकता पर बल देते हुए कहा कि देश के प्रति निष्ठा आज की महत्ती आवश्यकता है। विशिष्ठ अतिथि माण्डलगढ़ विधायक प्रदीप कुमार सिंह ने बालिकाओं की शिक्षा पर बल देते हुए क्षत्रिय समाज में व्याप्त सामाजिक कुरुतियों को भी दूर करने का आव्हान करते हुए समाज में भी सामूहिक विवाह पर बल दिया।

समारोह में धर्म गुरु के रुप में आमत्रित रेवासा धाम, सीकर के जगद्गुरु डॉ. स्वामी राघवाचार्य ने चित्तौडगढ़ के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि जब तक इस तरह के आयोजन होते रहेंगे, तब तक राष्ट्र भक्ति का ज्वार उठता रहेगा। उन्होंने जौहर का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे बड़ा और कोई त्याग व बलिदान नहीं हो सकता है। यही कारण है कि इसके कारण पूरे विश्व में चित्तौडग़ढ़ के इतिहास को विशेष महत्व दिया जाता है। समारोह को दलपत सिंह रुणेजा, गोपाल कृष्ण शर्मा, रतन सिंह राणावत आदि ने भी संबोधित किया। अतिथियों द्वारा समाज की कई प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया।

समारोह के प्रारम्भ में जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष उम्मेद सिंह धौली ने अतिथियों का स्वागत करते हुए जौहर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने एवं जौहर मेले को राÓय के पर्यटन कैलेण्डर में शामिल किए जाने की मांग की।

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा वीर वीरांगनाओं के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। गत कुछ वर्षो के मुकाबले इस वर्ष मुख्य समारोह के मंच पर सम्मानित अतिथियों की कमी भी खली। आयोजकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जन शक्ति राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा, चित्तौडगढ़ एवं राजसमंद के सांसद, क्षेत्रीय विधायक को भी अतिथि के रुप में आमत्रित किया था, लेकिन इनमें से कोई भी इस समारोह में शरीक नहीं हो सका।

राजनीति की हुई वकालात

समारोह में माण्डलगढ़ के विधायक प्रदीप सिंह समेत अन्य ने क्षत्रिय समाज के लोगों के राजनीति से जुड़ाव की जम कर वकालात की। उन्होंने कहा कि राजपूतों को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता है, लेकिन राजपूतों को भी सोची समझी राजनीति की जानी चाहिए। माण्डलगढ़ विधायक ने तो जोर दे कर कहा कि हर राजपूत को राजनीति करनी चाहिए, लेकिन जिस पार्टी का भी साथ दे, उसका कान पकड़ कर काम भी करवाने की राजनीति होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि समय के साथ लकीर के फकीर वाली राजनीति भी अब नहीं रही। ऐसे लोगो को तो अब बंधुआ मजदूर समझा जाने लगा है। माण्डलगढ़ विधायक के इस वकालात का अन्य कुछ वक्ताओं ने भी समर्थन किया।
Bhupendra Singh Chundawat
Udaipur










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