वीरवर राव शेखाजी का जनम विजयादशमी वि. सं. 1490 में बरवाडा व नान अमरसर के शासक मोकल सिंघजी की रानी निरबान जी से हुवा , पिता की मृत्य के बाद 12 साल की उम्र में वि. सं. 1502 में नान अमरसर की 24 गाँवो की जागीर संभाली , अपने आसपास के छोटे जागीरदारों को जीत कर 360 गावों का राज्य बना लिया , अपने स्वतंत्रराज्य के लिए शेखाजी को अपने ताक़तवर आमेर नरेश चंदर सेन जी के साथ 6 युद्ध किये !आखिरी युद्ध में आमेर नरेश ने समझोता कर शेखाजी को स्वतंत्र शासक मन लिया ,1200 पठानों को अपनी सेना भारती कर व आजीविका के लिए जागीर देकर शेखाजी ने धर्मनिरपेक्षता का परिचय दिया !एक स्त्री की मान रक्षा के लिए अपने निकट सम्बन्धी गौड़ राजपूतो से 11 युद्ध किये ,5 साल के खूनी संघर्ष के बाद गौडो का नाश करते हुए घाटवा में विजय हासिल की परन्तु अन्तिम युद्ध में घायल होने के बाद शेखाजी का अरावली की पहाडियों के पास रलावता नामक गावं में वि. सं. 1545 बैशाख शुक्ला अक्षय तर्तिया को निधन हो गया !