भारतीय जनता पार्टी भारत की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी है | इस पार्टी ने अपनी शुरूआत हिन्दू एजेंडे के साथ की थी | हिन्दू कौन ? हिन्दू वह जो अपने राष्ट्र से प्यार करे | शुरू में भावना यही थी | शायद इसी विचार धारा के कारण राजपूत समाज जो हमेशा ही अपने देश व अपने गौरव के लिए अपने प्राण न्योछावर करता रहा है, ने भी इस पार्टी में जुड़ने में हित देखा | आज राजपूत समाज का बहुमत इस पार्टी के साथ है | एक दूसरा कारण यह भी था की रियासतों के एकीकरण में कुछ लोग हमेशा कांग्रेश का ही हाथ मानते है जो रजवाडे अपनी रियासतों को खो चुके वो कॉंग्रेस को अपना दुश्मन मानने लग गए | उनके पास भारतीय जनता पार्टीके साथ जुड़ने के अलावा दूसरी कोई पार्टी उस समय नही थी | उनमे से एक वसुंधरा राजे सिंधिया की माता जी विजय राजे भी थी | जब भारतीय जनता पार्टी को संसदीय चुनावों और राजस्थान विधान सभा चुनावों में हार का सामना करना पडा तो उस हार का ठीकरा किसी न किसी के सर पर तो फोड़ना ही था | इसके लिए उन्हें वसुंधरा राजे से अच्छा कोई मोहरा नही मिला | और पार्टी ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए विवश कर दिया साथ में अनुशासन हीनता के नाम पर ज्ञान देव आहूजा व राजेन्द्र सिंह राठौड़ को भी निलंबित कर दिया | क्या पार्टी बात चित से कोई हल नही निकाल सकती थी ? एसी कोई समस्या नही है जिसका बातचीत से रास्ता ना निकल सकता हो बशर्ते की इसके लिए इच्छा शक्ती भी हो | पार्टी एक एक कर मेहनती और मजबूत नेताओं को निकाल कर पार्टी अपनी हार की बोखलाहट को दिखा रही है |
आज अभी ताजा खबरों में सुना की जसवंत सिंह जी जैसे कद्दावर नेता को पार्टी ने अपनी प्राथमिक सदस्यता से भी निकाल दिया है | यह तो होना ही था बिना बींद की बरात हमेशा इसी प्रकार की होती है | इस पार्टी का मुख्य नेता तो माननिय श्री अटल बिहारी वाजपेयी थे । जिनके जाने के बाद आडवाणी जी इस नैया को खे रहे थे लेकिन जहा सभी नेता , बड़े नेता हो वहा अनुशासन की बात करना बेमानी लगता है |
इस प्रकार भारतीय जनता पार्टी धीरे धीरे करके राजपूतो का जनाधार खो रही है | एक दिन एसा भी आयेगा जब भारतीय जनता पार्टी केवल भूत काल की बात हो जायेगी | इस परिस्थिति को देख कर यही बात दिमाग में आती है विनाश काले विपरीत बुद्धी | - *