शेखावाटी ही नहीं पुरे राजस्थान में अंग्रेजो के खिलाफ क्रांति का बीज बोने वालों में अग्रणी डुंगजी जवाहरजी (डूंगर सिंह शेखावत और जवाहर सिंह शेखावत) ने एक सशत्र क्रांति दल बनाया जिसमे सावंता मीणा व लोटिया जाट उनके प्रमुख सहयोगी थे | इस दल ने शेखावाटी ब्रिगेड पर हमला कर ऊंट,घोडे और हथियार लुट लिए साथ ही रामगढ शेखावाटी के अंग्रेज समर्थक सेठो को क्रांति के लिए धन नहीं देने की वजह से लुट लिया | शेखावाटी ब्रिगेड पर हमला और सेठो की शिकायत पर २४ फरवरी १८४६ को ससुराल में उनके साले द्वारा ही धोखे से डूंगर सिंह को अंग्रेजो ने पकड़ लिया और आगरा किले की कैद में डाल दिया | उन्हें छुडाने के लिए १ जून १८४७ को शेखावाटी के एक क्रांति दल जिसमे कुछ बीकानेर राज्य के भी कुछ क्रांतिकारी राजपूत शामिल थे ने आगरा किले में घुस कर डूंगर सिंह को जेल से छुडा लिया | इस घटना मे बख्तावर सिंह श्यामगढ,ऊजिण सिंह मींगणा,हणुवन्त सिंह मेह्डु आदि क्रान्तिकारी काम आये | इनके अलावा इस दल मे ठा,खुमाण सिंह लोढ्सर,ठा,कान सिंह मलसीसर,ठा,जोर सिह,रघुनाथ सिह भिमसर,हरि सिह बडा खारिया,लोटिया जाट,सांव्ता मीणा आदि सैकड़ौ लोग शामिल थे | डूंगर सिह को छुड़ाने के बाद इस दल ने अंग्रेजो को शिकायत करने वाले सेठो को फ़िर लुटा और शेखावाटी ब्रिगेड पर हमले तेज कर दिये | 18 जून 1848 को इस दल ने अजमेर के पास नसिराबाद स्थित अंग्रेज सेना की छावनी पर आक्र्मण कर शस्त्रो के साथ खजाना भी लूट लिया | लोक गीतो के अनुसार ये सारा धन यह दल गरीबो मे बांटता आगे बढता रहा | आखिर इस क्रान्ति दल के पिछे अंग्रेजो के साथ जयपुर,जोधपुर,बीकानेर राज्यो की सेनाए लग गई | और कई खुनी झड़पो के बाद 17 मार्च 1848 को डूंगर सिह और जवाहर सिह के पकड़े जाने के बाद यह सघंर्ष खत्म हो गया | 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मे भी मंडावा के ठाकुर आनन्द सिह ने अपनी सेना अंग्रेजो के खिलाफ़ आलणियावास भेजी थी | तांत्या टोपे को भी सीकर आने का निमंत्रण भी आनन्द सिह जी ने ही दिया था | 1903 मे लार्ड कर्जन द्वारा आयोजित दिल्ली दरबार मे सभी राजाओ के साथ हिन्दू कुल सूर्य मेवाड़ के महाराणा का जाना भी इन क्रान्तिकारियो को अच्छा नही लग रहा था इसलिय उन्हे रोकने के लिये शेखावाटी के मलसीसर के ठाकुर भूर सिह ने ठाकुर करण सिह जोबनेर व राव गोपाल सिह खरवा के साथ मिल कर महाराणा फ़तह सिह को दिल्ली जाने से रोकने की जिम्मेदारी केशरी सिह बारहट को दी | केसरी सिह बारहट ने "चेतावनी रा चुंग्ट्या " नामक सौरठे रचे जिन्हे पढकर महाराणा अत्यधिक प्रभावित हुये और दिल्ली दरबार मे न जाने का निश्चय किया | गांधी जी की दांडी यात्रा मे भी शेखावाटी के आजादी के दीवाने सुल्तान सिह शेखावत खिरोड ने भाग लिया था | इस तरह राजस्थान मे अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ़ लड़ने और विरोधी वातावरण तैयार करने मे शेखावाटी के सामन्तो व जागीरदारो ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | हालांकि शेखावाटी पर सीधे तौर पर अंग्रेजो का शासन कभी नही रहा |
ज्ञान दर्पण पर इतिहास के लेख