रोजगार की तलाश में आज गांवों से हर कोई पलायन कर शहरों में बसता जा रहा है राजपूत समाज भी इस पलायन से अछूत नहीं है | अच्छे रोजगार,बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था व अच्छे रहन सहन की सुविधाओं के लिए राजपूत समाज के लोग भी शहरों में बस रहे है | चूँकि गांवों की अपेक्षा शहरों में जातीय समाज के लोगों से मिलना जुलना सीमित रहता है रिश्तेदारों से भी थोड़ी दूरियां बन जाती है और सबसे ज्यादा दिक्कत तब आती है जब बच्चे बड़े होकर रिश्ते करने लायक हो जाते है ऐसे मेंसीमित संपर्कों के चलते रिश्ते तलाशने और भी मुश्किल हो जाते है |
वैसे भी हर व्यक्ति इस सम्बन्ध में अपने पारिवारिक सदस्यों व रिश्तेदारों पर निर्भर रहता है जिनका भी दायरा सीमित होता है कई बार किसी का बच्चा उतना पढ़ा लिखा होता है कि उसके लिए जीवन साथी की तलाश अपनेसीमित दायरे में करना बहुत दुरूह हो जाता है |
राजपूत समाज को ऐसी ही मुसीबतों से निजात दिलाने के लिए श्री मग सिंह जी राठौड़ जो पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व.कल्याण सिंह जी कालवी के निजी सहायक होते थे ने एक राजपूत वैवाहिक वेब साईट जोग संजोग .कॉम की शुरुआत लगभग दो साल पहले की थी | इस वेब साईट में अपने बच्चों को रजिस्टर कर उनके लायक प्रोफाइल देखकर रिश्ते के लिए पसंद की प्रोफाइल के बच्चे के परिजनों से संपर्क कर रिश्ता किया जा सकता है | इस वेब साईट ने राजपूत समाज के योग्य युवाओं के लिए योग्य वर तलाशने का जरुरी व महत्तवपूर्ण मंच उपलब्ध कराया है |
राजपूत समाज में इस वेब साईट की जरुरत क्यों महसूस हुई और ये वेब साईट रिश्ते तलाशने में कैसे मदद करती है उसके बारे में इस साईट के अक्सर पूछे जाने वाले सवालों का जबाब निम्न दे रखा है
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