समस्त भारत के क्षत्रियों (राजपूतों) में अनेकों संगठन आजादी के बाद से एक सपना अपने हृदय में संजोये हुए थे की दिल्ली में एक विशाल राजपूत भवन बने, जिससे देश के सभी प्रान्तों के क्षत्रिय ससम्मान एक रात्री उसकी छत के नीचे बीता सके| सभी के हृदयों की इस भावना को ध्यान में रखकर राजपूतों के स्वाभिमान, गौरव एवं आवश्यकता को ध्यान में रखकर अखिल भारतीय राजपूत विकास समिति (पंजी.) ने इस स्वप्न को साकार करने का बीड़ा उठाया और अपने सिमित साधनों से लगभग छ: सौ वर्ग गज जमीन दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली से नकद खरीदकर, इस भवन का निर्माण प्रारंभ किया| सर्व-सम्मति से इस भवन का नाम राजपूत बिरादरी के सपूत, कुल गौरव, युद्ध कौशल के धनी, स्वाभिमान के परिचायक, शूरवीर "महाराणा प्रताप" के नाम पर रखा गया| इस भवन की योजना निम्नलिखित है :-
१- भूतल : विशाल सभागार, ठाकुर जी का मंदिर, ध्यान मनन कक्ष, केयर टेकर कक्ष एवं जन सुविधाएँ|
२- प्रथम तल : अद्भुत हॉल, कार्यालय, कांफ्रेंस कक्ष, राजपूत इतिहास शोध संस्थान, पुस्तकालय, वाचनालय एवं जनसुविधाएं|
३- द्वितीय तल : १२ शयन कक्ष (डीलक्स- एसी, सेमी डीलक्स, साधारण डोरमेट्री), विशिष्ट अतिथि कक्ष, सब सुविधाओं सहित, विवाह प्रकोष्ट, रसोईघर, भंडार एवं अन्य सुविधाएँ |
४- तृतीय तल : विशेष योजना कक्ष तथा को-ओपरेटिव सोसाइटी, सूचना केंद्र, विद्यार्थी ट्रेनिंग केंद्र, रोजगार सूचना केंद्र, डिस्पेंसरी,प्रादेशिक जन संपर्क विभाग एवं निशुल्क सलाह ब्यूरो आदि(निर्माणाधीन)
समस्त क्षत्रिय बंधुओं से अपील है की आप जब भी भी दिल्ली पधारें, इस भवन में अपने चरण डालकर हमें दर्शन देकर कृतार्थ करें| यह संस्था पूर्णत: सामाजिक है जो क्षत्रियों के आर्थिक, सामाजिक, शारीरिक, शैक्षणिक, राजनैतिक विकास के लिए निरंतर प्रयास कर रही है| महाराणा प्रताप भवन में क्षत्रिय बंधुओं के सामूहिक दिल्ली भ्रमण करने, रहने-ठहरने, संस्थागत सम्मेलन, बैठक, धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों के लिए निशुल्क व्यवस्था है|