मुर्ख इंसान अपने को छोड़ कर सारी दुनिया को मुर्ख समझता है और दुनिया का प्रबोधन करने निकल पड़ता है! ऐसे लोगों को देखकर मुझे डोन क्विक्ज़ोट की याद आ जाती है! कभी वर्ण व्यवस्था या जाती व्यवस्था को लेकर ;कभी धर्म व्यवस्था या कभी आर्य विदेशी थे या नहीं इन बातों को लेकर अक्सर मिथ्या विचारों के प्रदर्शन यहाँ होते आ रहे है! विदेशी इतिहास कार लोगोने अनगिनत भ्रम पैदा कर रखे है जिन्हें हमारे तथा-कथित विद्वान् सत्य मानकर अपनी उट-पटांग खोज दुनिया के सामने रखने का अवडंबर करते रहे है! और हमारे लोग भी उन्ही गलत जानकारियों से भ्रमित होते जा रहे है! वास्तव में अगर इस महान इतिहास का सत्य स्वरुप अगर भारत के लोगों के सामने रखा जाये तो आज -कल के तथा-कथित स्वार्थी तत्व को राज करना मुश्किल हो जायेगा!
किसी भी देश को अपना सत्व और स्वत्व को कभी नहीं खोना चाहिए!
एक वचन यहाँ प्रस्तुत करना हम उचित समझेंगे," अगर दुनिया के किसी देश को---सभ्यता या संस्कृति को मिटाना चाहते हो; तो बम,बारूद या गोली की आवशकयता नहीं है; सिर्फ उस देश के इतिहास को मिटादो.....वह अपने आप मिट जायेंगे....!"
यही प्रयास हमारे बारे में कुछ लोग कर रहे है! जैसे इजिप्ट, मिस्र की संस्कृति काल के प्रहार में मिट गयी ....वैसे ही भारत की महान विरासत को नष्ट करने के अनगिनत प्रयास हुए..! लेकिन भारत की महान मिटटी में वह महान संस्कृति सिर्फ जीवित ही नहीं बल्कि समूचे विश्व को प्रेरणा देती रही है! जितना प्रहार यह लोग करेंगे उनसे ज्यादा यह मजबूत होगी! यह कोई किसी द्वारा निर्मित व्यवस्था नहीं है; यह सनातन है! जिसका कोई आदि और अंत नहीं है!
जिन लोगोने इस महान धरोहर को जानी--समझी या परखी नहीं है वैसे नादाँ ही उसपर प्रहार करना पसंद करेंगे! इस महान धरोहर को बचने के लिए अनगिनत लोगोने अपने बलिदान दिए है! हजारो संतो ने समूचे विश्व को प्रेम और ज्ञान का सन्देश दिया! यहाँ के त्याग और बलिदान की गाथा अद्वितीय है! भारत ने कभी भी किसी राष्ट्र या सभ्यता पर प्रहार नहीं किये है! वास्तव में इतना बड़ा मानवता का उदाहरण दुनिया के किसी इतिहास में नहीं होगा! आधुनिक लोग जात-वर्ण-धर्म जैसी बाते अधूरी पढ़कर वृथा ही अपने मत-प्रदर्शन कर देते है! यह तो हमारी अस्मिता प्रहार है;जिसका जबाब हमें देना चाहिए! हर सदी में कुछ विकृत लोग ऐसा करते आये है! यह वो धरती है जिसने अपनी स्तुति ही नहीं बल्कि आलोचना भी सही है! यह परिवर्तनशील संस्कृति है, व्यापक विचार धारा वाली और सभी प्रवाह या तत्वों को गोद में समाने वाली संस्कृति है!
पाखंडी लोग मानवता के नाम से इस महान संस्कृति पर कीचड़ उछालते है! क्या भारत जैसी महान मानवता कही दुनिया में किसी राष्ट्र में या संस्कृति में आप को दिखाई दी है? जिस पछिम की सभ्यता को ये पागल लोग महान समझते है, क्या उनके पागलपन जैसे उदाहरण यहाँ कभी देखे है? इंग्लैंड, फ़्रांस,जर्मनी तो साम्राज्यवाद के जनक थे! अमेरिका ने इराक में क्या कहर मचाया यह पूरा विश्व जनता है! क्या भारत ने ऐसा कुछ किया है? आज की बात तो क्या.....इतिहास में भी ऐसा कही नजर नहीं आया है!
आखिर में हम यह ही कहना पसंद करते है,
"वो कौमे बदनसीब होती है; जिन्हें इतिहास नहीं होता है....!
वो कौमे खुशनसीब होती है;जिन्हें इतिहास होता है.......!
और वो कौमे सबसे ज्यादा बदनसीब होती है; जिन्हें इतिहास भी होता है.......लेकिन वो इतिहास से सबक नहीं लेती है..!"
हमें इतिहास की भूलों से सबक लेना चाहिए.......और हमारे वर्तमान और भविष्य के बारे में सजग होना चाहिए...! इतिहास के कुप्रचार को जबाब देकर.....ऐसी नादाँ हरकतों को सबक सिखाकर हमारी महान सांस्कृतिक विरासत की रक्षा हेतु हमें आगे आना चाहिए...!
शिरपुर,[महाराष्ट्र]
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