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Oct 20, 2010

झुंझुनू में मनाई गयी महा राव शेखा जी की जयंती

क्षत्रिय ने अपने धर्म का पालन हमेशा से ही ईमानदारी से किया है। यही कारण है कि महाराव शेखा ने हिन्दू-मुस्लिम में कोई भेद नहीं किया वे साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल थे। क्षत्रियों का इतिहास साम्प्रदायिक सद्भाव, भक्ति, वीरता एवं गौरव का रहा है लेकिन हम इसे भूलते जा रहे हैं। हालात यह है कि हम खुद को खुद से ही मिटाने लगे हैं। समाज की दशा पर यह पीड़ा जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. लोकेश शेखावत ने व्यक्त की।


वे रविवार दोपहर को यहां शार्दुल छात्रावास में महाराव शेखा की 578वीं जयंती पर आयोजित समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित रहे थे। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि इतिहास में क्षत्रियों के बारे में जो अनर्गल तथ्य पेश किए जा रहे हैं, वह अपमान की बात है। इस भ्रामक प्रचार से हमारे अच्छे कामों पर पानी फिर रहा है। हम कमजोर हो गए हैं क्योंकि हम हमारी पहचान को भूल गए। आज हमें जो कुछ कहा जाता है, हम उसे स्वीकार कर लेते हैं। वर्तमान में सबसे बड़ा संकट सच को सच कहने का है। उन्होंने कहा कि चुपचाप बैठे रहने से कुछ नहीं होगा, क्योंकि कुछ किए बिना जय जयकार नहीं होती। करीब 35 मिनट के धाराप्रवाह उद्बोधन में डा. शेखावत ने विभिन्न दृष्टान्तों, मुक्तकों एवं कविताओं के माध्यम से समाज बंधुओं का आह्वान किया कि वे चिंता एवं चिंतन के साथ आचरण तथा भविष्य के बारे में भी सोचें। कथनी और करनी में अंतर न रखें, क्योंकि आजादी के बाद देश को सिवाय भाषणो एवं भ्रष्टाचार के कुछ नहीं मिला है।


अन्य वक्ताओं ने भी महिला शिक्षा को बढ़ावा देने तथा राजनीति में भागीदारी बढ़ाने का आह्वान किया। इससे पहले अतिथियों ने महाराव शेखा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर समारोह का शुभारंभ किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक डा. मूलसिंह शेखावत, बगड़ नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष विक्रमसिंह, कांग्रेस नेता विजेन्द्रसिंह इंद्रपुरा, इतिहासकार, रघुनाथसिंह कालीपहाड़ी, डा. हनुमानसिंह शेखावत, डा. रवीन्द्रसिंह कालीपहाड़ी व जयनारायण व्यास विवि के छात्रसंघ उपाध्यक्ष लोकेन्द्रसिंह पौंख थे। समारोह की अध्यक्षता अर्जुन अवार्ड विजेता रघुवीरसिंह पाटोदा ने की। इससे पहले अभयसिंह चनाना ने स्वागत भाषण दिया जबकि महाराव शेखा संस्थान के जिलाध्यक्ष जगदीशसिंह नांद ने महाराव शेखा का जीवन परिचय बताया। कार्यक्रम का संचालन अशोकसिंह बड़ागांव ने किया। समारोह में समाज के करीब तीन दर्जन विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

इन्होंने किया स्वागत
समारोह में अतिथियों का जिले के विभिन्न स्थानों से आए समाजबंधुओं ने माल्यार्पण कर स्वागत किया। स्वागत करने वालों में जगदीशसिंह नांद, रघुवीरसिंह गांगियासर, बजरंगसिंह ख्याली, श्यामसिंह राठौड़, सुरेन्द्रसिंह डाबड़ी, सुरेन्द्रसिंह बड़ाऊ, पृथ्वीसिंह सुलताना, शायरसिंह कालीपहाड़ी, रामसिंह कालीपहाड़ी, अनूपसिंह छापड़ा, गोपालसिंह केड, शिवनंदन सिंह शक्तावत, अर्जुनसिंह उत्तरासर, सुरेन्द्रसिंह भोजासर, किशोरसिंह टिटनवाड़, हरिसिंह बगड़, महिपालसिंह बड़ागांव, भवानीसिंह श्यामपुरा, शक्तिसिंह गांगियासर, बलराजसिंह इस्माइलपुर, महिपालसिंह कालीपहाड़ी, महेन्द्रसिंह तिहावली, केशरीसिंह रिजाणी, सुभाषसिंह इक्तारपुरा, ईश्वरसिंह मटाना, डा. एनएस नरूका, राजेन्द्रसिंह भाटी, किशनसिंह दौरासर, ईश्वरसिंह चनाना, सुमितसिंह महलाना आदि शामिल थे।

भैरोंसिंह के नाम पर हो विवि का नाम
समारोह में समाजबंधुओं ने हाथ उठाकर एक स्वर में इस बात का प्रस्ताव पारित किया कि राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर का नाम पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के नाम पर होना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि उदयपुर विश्वविद्यालय का नाम पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिया तथा जोधपुर विश्वविद्यालय का नाम पूर्व मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास के नाम पर है, ठीक उसी तर्ज पर राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर का नाम भी भैरोंसिंह शेखावत विश्वविद्यालय जयपुर होना चाहिए। कांग्रेस नेता विजेन्द्रसिंह इंद्रपुरा ने कहा कि समाज के समस्त जनप्रतिनिघि इस मामले को विधानसभा मे जोर-शोर से उठवाएं। इस संबंध में दिल्ली के स्तर पर होने वाली औपचारिकता की पैरवी वे स्वयं करेंगे।
राजस्थान पत्रिका के सौजन्य से )

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