कांग्रेस के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर लोगों के निशाने पर रहते है| सोशियल साइट्स पर यदि किसी नेता का विरोध देखा जाय तो सबसे ज्यादा विरोध दिग्विजय सिंह के खिलाफ ही दिखाई देगा| सोशियल साइट्स पर इनके विरोध में भाजपा समर्थकों के तीखे व्यंग्य बाण व इनकी फोटो से छेड़छाड़ कर बनाये गए उलजुलूल चित्र अपलोड किये अक्सर देखे जा सकतें है| खैर...ये भाजपा समर्थक उनके राजनैतिक विरोधी है अत: राजनैतिक तौर पर किया जाने वाला उनका विरोध समझ आता है|
सोशियल साइट्स पर कई राजपूत युवकों को दिग्विजय सिंह के बयानों की भाजपा समर्थकों द्वारा मजाक उड़ाने जाने से प्रभावित हो आहत होते हुए भी अक्सर देखा जा सकता है| बहुत से राजपूत युवा भाजपा समर्थकों के प्रचार से इतने अधिक प्रभावित हो चुकें है कि वे दिग्विजय सिंह को राजपूत समाज के लिए काला धब्बा मानने लगे है जिसकी अभिव्यक्ति वे अक्सर सोशियल साइट्स पर करते देखे जा सकते है| दिग्विजय सिंह के बयानों से राजपूत युवाओं का आहत होने का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि कम से कम राजस्थान के राजपूत पारम्परिक तौर पर कांग्रेस विरोधी व भाजपा समर्थक है अत: दिग्विजय सिंह का भाजपा विरोधी कोई भी बयान इन युवाओं को आहत करने के लिए काफी होता है, रही सही कसर भाजपा की सोशियल साइट्स पर कार्य कर रही ब्रिगेड पूरी कर देती है| इस ब्रिगेड द्वारा किये जाने प्रचार से प्रभावित हो कई राजपूत युवा दिग्विजय सिंह को राजपूत समाज पर कलंक मानने लगे है जिसे वे अक्सर दिग्विजय सिंह को समाज से बहिष्कृत करने की मांग करते हुए अभिव्यक्त भी करते है|
पर ऐसा करते हुए क्या कभी राजपूत युवाओं ने सोचा है कि- दिग्विजय सिंह के बयानों से राजपूत समाज का क्या लेना देना ?
दिग्विजय सिंह एक राजनेता होने के नाते अपनी पार्टी के हित में कोई कैसा भी बयान देते है तो यह उनका राजनैतिक मामला है, वे ऐसे विवादित बयान एक राजनेता होने के नाते देते है राजपूत समाज के नेता होने के नाते नहीं| फिर भला उनके बयानों से समाज के युवा सामाजिक तौर पर अपनी भावनाएं आहत क्यों करें ?
दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, आज वे कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता है यह सब उपलब्धि उनकी स्वयं की व्यक्तिगत है इसमें राजपूत समाज का कोई योगदान नहीं| फिर समाज के युवा उनसे क्यों उम्मीद करे कि वे राजपूत नेता की तरह व्यवहार व आचरण करें ?
जब राजपूत समाज जातिय आधार पर वोट नहीं देता और जातिय आधार पर चुनाव नतीजों को प्रभावित नहीं कर सकता तो दिग्विजय सिंह ही क्यों किसी भी नेता से सामाजिक आधार पर कैसी उम्मीद ? और क्यों ?
दिग्विजय सिंह का आचरण एक राजनेता का आचरण है अत: उनके किसी भी तरह के आचरण से समाज के युवा अपनी सामाजिक भावनाएं आहत नहीं करनी चाहिये|
दिग्विजय सिंह के आचरण से यदि समाज के किसी युवा को कोई भी व्यक्ति जातिय आधार पर नीचा दिखाने की कोशिश भी करे तो उसे साफ कह देना चाहिये कि इसके लिए समाज जिम्मेदार नहीं, वे हमारे सामाजिक नेता नहीं जो समाज उनके आचरण की जिम्मेदारी ले|
दिग्विजय सिंह के बयानों से जो राजपूत युवा सहमत नहीं वे उनका विरोध जरुर करें पर सिर्फ राजनैतिक आधार पर, जातिय या सामाजिक आधार पर नहीं|
संक्षेप में मेरी राजपूत युवाओं से यही अपील है कि – “वे किसी भी राजपूत नेता को समाज का नेता नहीं सिर्फ राजनैतिक नेता समझे और उनके आचरण की तुलना राजपूत समाज व राजपूत संस्कृति के आचरण के अनुरूप ना करें, दिग्विजय सिंह पूर्व राजघराने से है और मैं आपको यह साफ बता देना चाहता हूँ कि इस देश के कुछ (सिर्फ दो-चार) पूर्व राजघरानों के लोगों को छोड़कर लगभग राजघरानों के लोग राजपूत समाज के बीच सिर्फ दिखावे के लिए चुनावों व अन्य मौकों पर हमारी जातिय भावनाओं का दोहन करने के लिए आते है बाकि समय इनके पास समाज के आम व्यक्ति से मिलने का न तो वक्त होता ना ये मिलना चाहते| क्योंकि वे आम राजपूत को आज भी बराबर का जातिय भाई नहीं “छूट भाई” रूपी गुलाम ही समझते है| अत: ऐसे राजपरिवार के लोगों को समझकर इनका समर्थन करे जातिय आधार पर कदापि नहीं|
इन पूर्व राजघरानों का आचरण व रहन सहन भी दोहरा है जब वे हमारे बीच आते है तो पारम्परिक बनकर आयेंगे जबकि सब जानते है कि ये लोग पाश्चात्य जिन्दगी जीने के आदि है, राजपूत संस्कृति इन्होने सिर्फ दिखावे के लिए व इसका अपने होटल और पर्यटन व्यवसाय में दोहन करने मात्र के लिए अपना रखी है जबकि इन्हें राजपूत संस्कृति से कोई लेना देना नहीं| अत: इन नेताओं व पूर्व राजपरिवार के सदस्यों से राजपूत संस्कृति के अनुरूप किसी भी तरह के आचरण की उम्मीद ना करें तो ही ठीक है|”
जिन लोगों को समाज से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं ऐसे लोगों को ठीक उसी तरह समझ व्यवहार करें जैसे अन्य राजनैतिक नेताओं से व्यवहार करते है| ऐसे राजनेताओं के किसी राजनैतिक षड्यंत्र में फंसने पर भी उनका जातिय आधार पर कतई साथ ना दें क्योंकि आज तक देखा गया है ऐसे नेताओं को फंसने के बाद समाज याद आता है और वे समाज की ताकत का अपने राजनैतिक पुनर्वास में फायदा उठाने में रहते है पिछले दिनों राजस्थान में भाजपा नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ व पूर्व सपा नेता अमर सिंह के मामले आप देख ही चुकें है|
जातिय व सामाजिक आधार पर उसी व्यक्ति का राजनीति में समर्थन करें जो आपके बीच रहकर आपके क्षेत्र का विकास करता हो, जनहित के मामले में हर तरह के संघर्ष के लिए तैयार रहता हो और हमारे समाज के साथ साथ अन्य समुदायों में भी स्वीकार्य हो|