आज सबसे अहम् सवाल है की समाज को कैसे बचाया जाये? इस विषेले वातावरण जहाँ चंहु ओर विषाणु फैल रहे है,के दुष्प्रभाव से आज का क्षत्रिय स्वयं को कैसे बचाए ताकि वे समाज को विनाश से बचा स...के |क्योंकि क्षय से त्रान करना ही क्षत्रिय का धर्मं है |क्षत्रिय अपने आपको कमल की तरह इन किचड डड बुराइयों बचाएं |इस कार्य में क्षत्रियों से ज्यादा जिम्मेदारी हम क्षत्रानियो को लेनी होगी | हम क्षत्रानियो कोआज फिर उन्ही संस्कारो को अपने बच्चो में देना होगा जो हम आदि काल से देती आरही है |और उसके परिणामस्वरूप यह क्षत्रिय समाज प्रगति की चरम सीमा तक पहूँचा | आज तक विश्वामित्रजी ज्यादा तपस्या किसी ने नहीं की |श्री राम से अच्छा शासन किसी ने नहीं दिया |भीष्म से बड़ी किसी ने प्रतिज्ञा नहीं की |श्री कृष्ण से बड़ा ज्ञानी पैदा नहीं हुआ |युधिष्टर से बड़ा धर्मज्ञ नहीं हुआ |करना से बड़ा दानी नहीं हुआ |राजा हरिश्चंद्र से बड़ा सत्यवादी नहीं हुआ ,महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध से बड़ा अहिंसक वीर नहीं हुआ |पृथ्वी राज चौहान से बड़ा क्षमाशील (उदार) नहीं हुआ |राणा साँगा से ज्यादा किसी ने युद्ध में किसीने घाव नहीं खाये |राजकन्या मदालसा सी माता ही निर्माता नहीं हुई |गंगा,यमुना,सरस्वती,पार्वती,सावित्री,तारावती,माता सीता ,द्रौपदी से बड़ी तपस्वनी नहीं हुई ,जिन्होंने अपने आपको इतना तपाया की कोई नदी रूप में प्रवाहित हुई ,तो किसीने भगवान सदाशिव को ही पति रूप में प्राप्त कर लिया |किस किस के नाम गिनाये ,यदि क्षत्रिय पात्रो के आदर्शों का थोडा सा भी वर्णन किया जाये तो सारे विश्व का कागद एवं स्याही कम पद जाएगी |बस इतना जान लीजिये की इतिहास में से क्षत्रिय इतिहास को निकाल दिया जाय तो शून्य शेष रह जायेगा |
आचार्य रजनीश कहा करता था की रोजाना १० हजार सैनिकों को युद्ध में मारने वाले पितामह भीष्म भी क्षत्रिय थे ,और चींटी आदि कीड़ों को भी न मारने का उपदेश देने वाले जीतेन्द्र महावीर स्वामी भी क्षत्रिय ही थे |पति के साथ चिता में कूदकर सटी होने का अनुपम उदहारण पेश करने वाली भी अनेको सतियाँ क्षत्रानियाँ हुई है,और यमराज को अपने नियम बदलने के लिए विवश कर पति को पुन:जीवित कराने में सफल रही सावित्री भी तो क्षत्राणी ही थी |इसके अलावा बालपन में विधवा होकर जीवन भर पति को समर्पित रह कर तपकर ४३ वर्षो अन्न-जल के बगेर जीवित रहने का अनुपम उदहारण आधुनिक काल में पेश करने वाली बाला सतीजी भी तो क्षत्राणी ही थी |विधवा होने पर अपने पति के अधूरे कार्य एवं जिम्मेदारियों को निभाने वाली भी आदि काल सेसे लेकर आजतक क्षत्रिय परिवारों में घर घर में रही है |विश्व इतिहास में भारत जसे और क्षत्रिय योद्धाओं जैसे और भी उदहारण शायद मिलसकते है किन्तु मध्य काल में सर कट जाने के बाद ५-५ घंटे और ५-५ कोस तक युद्ध लड़ने वाला राजपूतो के अतिरिक्त कोई नहीं मिलेगा |
राजपूतो के अतिरिक्त कोई नहीं मिलेगा |ऐसा गौरव शाली अतीत जिस जाति या वागा का रहा है,आज उसकी क्या हालत है यह किसी से छिपा हुआ नहीं है |जिस वर्ग ने विकास की सारी सीमाये पार की आज उसी समा...ज का चहुँ ओर पतन होरहा है |संस्कारो से लेकर संस्कृति तक ,तपश्या से लेकर ऐश्रव्य तक,शारीरिक शक्ति से लेकर आर्थिक एवं बौधिक बल तक चारो ओर से पतन की रह पर आखिर यह समाज क्यों चल निकला ?और इसको इस रह से कैसे बचाया जाये ,आज का यही यक्ष प्रश्न हर क्षत्रिय एवं समाजवेत्ता के सामने मुहं बाये खड़ा है |
राष्ट एवं जनता राज्यविहीन एवं दिशाहीन होकर पतन के गहरे भंवर में फँस चुके है |राज्य का प्रथम एवं अत्यावश्यक कर्त्तव्य है जनता के धन एवं सम्मान की सुरक्षा |आज राज्य सुरक्षा के अपने दायित्व से पल्ला झड चूका है |हर जगह ,हर पल ,हरेक अपने आपको आतंकवादियों के निशाने पर खड़ा पा रहा है |असुरक्षा की भावना सभी के मन में गहरी गाँठ बना चुकी है|आतंकवादियों के हौसले बुलंद है |जनता अपने आपको असुरक्षित पारही है |धन एवं सम्मान तो दूर की बात है,अब लोगो की जान भी सुरक्षित नहीं रही |ऐसे में राज्य अपनी कौनसी जिम्मेदारी निभारहा समझ से परे है |
क्षत्रिय समाज का पतन और जनता का सर्वांगीन पतन,कहीं इन दोनों बातो का आपस में कोई संबंध तो नहीं !कहीं ऐसा तो नहीं जनता एवं राष्ट के पतन का संबंध हम क्षत्रियों के पतन से हो!और यदि ऐसा है तब तो इस राष्ट्र एवं जनता पतन की उत्तरदायी हम क्षत्रानिया ही होंगी |क्योंकि क्षत्रियों के निर्माण का उत्तरदायित्व तो हम क्षत्राणियों पर ही है |
पुराणी कहावत है की "चोर नहीं चोर की माँ को मारना चाहिए "|अर्थात संतान के हर अच्छे बुरे कार्य के लिए उसकी माँ ही जिम्मेदार है|तो फिर क्षत्रियों की हालत के लिए भी क्षत्रियों की माताएं हम क्षत्राणियों की ही जिम्मेदारी है |अत:आशा है हर क्षत्राणी अपने इस कर्तव्य को समझे एवं इमानदारी से अपने उत्तरदायित्व को मान कर आज और अभी से क्षत्रियों के निर्माण में सम्मिलित होकर अपनी मत्वपूर्ण भूमिका अदा करे |
" कुँवरानी निशा कँवर"
श्री क्षत्रिय वीर ज्योति
एक वीर जिसने दो बार वीर-गति प्राप्त की |
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